Saturday, March 5, 2011

छेड़छाड़


रुख हवाओं का मोड़ जाऊंगी 
एक दिन पीया की नगरिया 
जहाँ करते होंगे  इंतज़ार मेरा 
मेरे सांवरिया !
चुपके से डालूंगी डेरा अंगना उनके 
जा छुपूंगी घर के किसी कोने  !
वो जब ढूँढेंगे मुझे ,मेरा नाम ले 
पायल झन्का दूँगी कानो में हलके से 
लहरा के हलके से आँचल अपना 
बिखरा दूँगी खुशबू बालों की हवाओं में 
जब वो बेचेन हो ढूँढेंगे मुझे 
मै जा छिपूंगी  अमुआ तले
खो जाऊँगी सपनों में जो  बिताये थे वहां  
सुन उनके आने की आहट 
लौट आउंगी नैनों में,  नए सपने लिए 
उनकी बेबसी पर थोड़ा हंसूंगी 
पर मन ही मन थोड़ा तद्पूंगी
कितना सुंदर होगा मुखड़ा उनका 
वो ढूँढ़ते चंचल नयन उनके 
बस अब न कर पाएँ शायद इंतजार 
बिफर जाएँ न पाकर मुझे वहां 
जा चुपके से कान में कह दूँगी 
लो आ गई ,संभालो मुझे 
वो करेंगे बहाना रूठने का फिर 
झिड़क देंगे हाथ बालों से अपने 
मैं डाल दूँगी बाहें गले में उनके 
रख दूँगी अधर ,अधरों पर उनके! 

3 comments:

  1. वो करेंगे बहाना रूठने का फिर
    झिड़क देंगे हाथ बालों से अपने
    मैं डाल दूँगी बाहें गले में उनके
    रख दूँगी अधर ,अधरों पर उनके!
    bahut sundar.....

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