Saturday, March 5, 2011



 अपने  दिल  से  किसी  को  जुदा  कर ,
उसकी याद  को  दिल  से  फ़ना  कर ,

  • लगता  है  आज  सुकून  से  सो  पाऊँगी

कुछ  अपने  लिए  शायद  जी पाऊँगी .
जिसका  नाम  जुबान  पर  ,
आते  ही   घुल   जाता  था  शहद  होठों  पर ,
उसको  भूल  कर  शायद ,
कर पाऊँगी  अधिकार  अपने  दिल   पर .




  • मेरे  लिए  दोस्त  से   बढकर  रकीब  ही  निकला ,
जिसने  हर  पल  याद  तो  किया   दुश्मनी  से  ही  भला .
पर  मेरे  दोस्त  ने  तो   न  ली  सुध   ही  मेरी ,
शायद  समझा  न  इस  लायक  की  फ़िक्र  करे  वो  मेरी .




  • हमने  अपने  आप  से  ही  दोस्ती  कर  ली ,
क्यांकि  ये  आरज़ू  थी  मेरे  एक  दोस्त  की ,
जब  से  खुद  के  साथ  गुज़ारने  लगे  हैं  वक़्त  ,
धोड़ा  बहुत  खुद को पहचानने  लगे हैं  हम .



  • मेरी जिंदगी  मेरी  मौत  से  भी  बदत्तर  है  मालिक ,
मौत  तो  एक  बार  आकर  सुकून   दे  जाती  है ,
पर  ये  जिंदगी  हर  पल  है  रुलाती  हमको ,
तिनका  तिनका  कर  बिखेरती  है  मुझको ,
जिसको  समटने  की  ना अब  कोशिश  है  मेरी!

5 comments:

  1. "LIVE N LET LIVE OTHERS THE WAY THEY WANT"

    "हमने अपने आप से ही दोस्ती कर ली,
    क्यांकि ये आरज़ू थी मेरे एक दोस्त की,
    जब से खुद के साथ गुज़ारने लगे हैं वक़्त,
    थोडा बहुत खुद को पहचानने लगे हैं हम"

    आपके विचार और कवितायेँ पढ़कर अच्छा लगा

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  2. सरल सुंदर रचना । किंचित ही आप नई हैं इसलिए फ़ोंट बडे छोटे हैं इन्हें edit करके ठीक कर लें । पाठकों को पढने में सुविधा होगी

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  3. dhanyawadrakeshji aur ajay ji ki aapne humara blogpada.ajay ji aapke sujhav ke liye dhayawad.hum fonts bade kar lenge.

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  4. सम्मानित ब्लोगर सुनीला जी , ब्लोगिंग के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए आपको बहुत-बहुत शुभकामनायें... "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" हिंदी ब्लोगरो में प्रेम, भाईचारा, आपसी सौहार्द, के साथ हिंदी ब्लोगिंग को बढ़ावा देने के लिए कृतसंकल्पित है.....यह ब्लॉग विश्व के हर कोने में रहने वाले भारतियों का स्वागत करता है. आपसे अनुरोध है की आप इस "मंच" के "अनुसरणकर्ता" {followers} बनकर योगदान करें. मौजूदा समय में यह मंच लेखन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया है. जिसमे आप भी भाग ले सकते है.
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    "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" www.upkhabar.in/

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  5. dhanyawad sangeeta ji humara swagat kiya.bahut bahut abhar.

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