Saturday, December 31, 2011

एक तस्वीर जो उकेरी थी दिल के किसी पन्ने पर 
शायद वो उभर आई है आज तुम्हें देख कर !


माना की खैरात लेना मेरी फितरत नहीं 
गर तेरा प्यार यूँहीं मिले तो इसमें हमें हर्ज़ नहीं!


Dil ke dhadakne se khwaishe hai ,zaroorte hai
 kal ka kya bharosa kuchh bhi n rahe.


Vo kis tarah mila ,kaise juda ho gaya,
socha tha n poochha karenge hum.


आँखों की कही आँखों तक रहती तो ठीक था,
दिल तक पहुची तो दर्द का अहसास हुआ!


ख्वाइशें रूठी जाती है दिल टूटे जाते है !
फिर भी दिल लगानेवाले दिल लगाते जाते हैं !

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