Friday, February 17, 2012
Thursday, February 2, 2012
Tuesday, January 17, 2012
सुकून......
वो रख दे चंद फाहे चांदनी के
मेरे सुलगते हुए टूटे दिल पर!
लगा दें लेप अपनी नर्म साँसों का
मेरे झुलसते हुए तन -मन पर!
सुकून दे दें पल भर के लिए ही
मेरे तड़पते हुए अरमानों को!
यूँ तो कटती है ,कट जाएगी ज़िन्दगी
लेकिन थोड़ी मेरी मौत तो आसां कर दे!
मेरे सुलगते हुए टूटे दिल पर!
लगा दें लेप अपनी नर्म साँसों का
मेरे झुलसते हुए तन -मन पर!
सुकून दे दें पल भर के लिए ही
मेरे तड़पते हुए अरमानों को!
यूँ तो कटती है ,कट जाएगी ज़िन्दगी
लेकिन थोड़ी मेरी मौत तो आसां कर दे!
Wednesday, January 4, 2012
क्या हुआ जाता है... ...........
दिल ये डूबा जाता है...
वो कह गए थे...
करेंगे इंतज़ार मेरा..
जब भी लौटूंगी.....
पाऊंगी उन्हें ..
उसी मोड़ पर ...
जहाँ से बिछुड़े थे
किसी रोज़ हम !
पर ये क्या ?
खड़ी हूँ कई रोज़ से...
करती इंतज़ार उनका...
जो शायद खफा है ...
कि हमने कुछ कह दिया उनसे
जो न जाने बड़ा नागवार
है गुज़रा उन पर....
माना कि खता थी हमारी...
पर क्या वो अभी भी...
न समझ पाए....
प्यार को अपने ?
हमने तो सोचा था...
कि वो प्यार बहुत
करते हैं हमसे...
मुआफ कर देंगे....
छोटी सी खता हमारी!
पर.. अब न जाने आज...
क्या हुआ जाता है...
दिल अपनी ही बेरुखी पर...
रोया जाता है!
सुन लो ये इल्तिजा मेरी...
जो आज न संभाला मुझे....
तो टूट जाऊंगी मैं.. .
सदा के लिए !
Sunday, January 1, 2012
mere sher...
सोच लो गर चले गए तो लौटेंगे नहीं
चाहे कितना ही पुकारा करना हमें
दिल हमारा कितना ही तड़पा करे
फिर भी न गवारा होगा तेरा हमें यूँ जाने देना!
मुद्दत हुई एक शख्स को बिछुड़े हुए लेकिन
आज तक मेरे दिल पे एक निशाँ बाक़ी है!
—
अब न कुछ कहने को है और न सुनने को,
तबियत न अब मेरी है शिकायत करने को!
क्या कर ,क्यों कर करूँ शिकायत उससे
जो मेरी इस दर्द के काबिल ही नहीं है!
जगमगाते रंग अब कुछ सोते से हैं
,
खिलखिलाते रंग अब कुछ रोते से हैं
कैनवास हुआ है अब विधवा की मांग सा
खोजता वो हाथ जो भरता रंग अनगिनत उसमें !
और कब तक हारेगी वफ़ा बेवफाई से यूहीं!
तबियत न अब मेरी है शिकायत करने को!
क्या कर ,क्यों कर करूँ शिकायत उससे
जो मेरी इस दर्द के काबिल ही नहीं है!
जगमगाते रंग अब कुछ सोते से हैं
,
खिलखिलाते रंग अब कुछ रोते से हैं
कैनवास हुआ है अब विधवा की मांग सा
खोजता वो हाथ जो भरता रंग अनगिनत उसमें !
आखिर कब तक चलेगी ये आँख मिचोली
और कब तक हारेगी वफ़ा बेवफाई से यूहीं!
खूबसूरत चारपाई सा बुना शरीर
कुछ हाड़ मॉस की नुमाइश करता
ढोता बोझ इस कठिन जीवन का
कुछ खाली पेट कुछ पानी पी!
लबों को फिर मेरे मुस्कुराना आ गया
किसी ने लौट कर वापस, ये खज़ाना दे दिया!
मुद्दतें हुई हमें यूँ कुछ गुनगुनाये हुए
लबों को आज फिर एक मीठा तराना मिल गया!
दिल ने भी मेरे छेड़ा है कोई नया फ़साना
वो जो बैठा था बरसों से थामे हाथ तनहाइयों का !
आँखें मचल अब करतीं है हाले- बयां सबसे
जिसे कभी वो चाँद,तारों से भी छुपाया करती थीं
कुछ हाड़ मॉस की नुमाइश करता
ढोता बोझ इस कठिन जीवन का
कुछ खाली पेट कुछ पानी पी!
लबों को फिर मेरे मुस्कुराना आ गया
किसी ने लौट कर वापस, ये खज़ाना दे दिया!
मुद्दतें हुई हमें यूँ कुछ गुनगुनाये हुए
लबों को आज फिर एक मीठा तराना मिल गया!
दिल ने भी मेरे छेड़ा है कोई नया फ़साना
वो जो बैठा था बरसों से थामे हाथ तनहाइयों का !
आँखें मचल अब करतीं है हाले- बयां सबसे
जिसे कभी वो चाँद,तारों से भी छुपाया करती थीं
tsunamiiiiiiiii
खड़ी हूँ आज कनारे तेरे,तो तू न समझ ये समंदर
कि मेरे पैर छू लेने पर कर दूँगी तुझे मुआफ मै !
तूने छीना है मुझसे मेरे लोगों को ओ सुनामी
,
अब न पिघलेगा दिल मेरा तेरी किसी गुहार पर!
अब न पिघलेगा दिल मेरा तेरी किसी गुहार पर!
न जाने कितने ही घर-परिवार उजाड़े हैं तूने
फिर भी चाहता है कि कर दूं मुआफ मै तुझे!
ऐसा क्या छीन लिया था मेरे लोगों ने तुझसे
कि तू कहर बरपा गया जीवन पर उनके!
सिर्फ ज़मीन का छोटा सा हिस्सा ही तो लिया था
जिस पर गुज़र करते थे परिवार का वो कुछ बेच-खाकर!
कैसा तू राक्षस है कि पेट भरता ही नहीं तेरा कभी
न जाने कितने ही जहाजों को खा गया तू लोगों समेत!
देख देख कुछ तो सीख तू ओसामा से तो आज
कितनी ही जानें लेने के बाद पड़ा है शांत आगोश में तेरे!
पर तू है की थमने का नाम ही नहीं लेता,
बनाता है नित नए लोगों को ग्रास अपना तू!
mere sher......
आँखों से बहते है अश्क दीदारे-यार के लिए
दिल के ज़ख्म रिसते हैं विसाले -यार के लिए
ऐसा नहीं कि बेचेन न होंगे वो भी मिलने के लिए
फिरते होंगे आलमे -बेगानगी में वो पैमाना लिए!
सुनो तुम जो चले गए मेरी नींदें चली गई
मेरे दिल का चैन मेरी खुशियाँ चली गईं
जीने कि हर वो चाह,वो आस चली गयी
जिसकी लौ जली थी कुछ रोज़ पहले ही!
हम जो देखते हैं अब आइना
हमें कुछ अजीब सा लगता है
वो जो चेहरा कभी हमारा था
उसपर अक्स किसी और का पड़ता है!
दिल के ज़ख्म रिसते हैं विसाले -यार के लिए
ऐसा नहीं कि बेचेन न होंगे वो भी मिलने के लिए
फिरते होंगे आलमे -बेगानगी में वो पैमाना लिए!
सुनो तुम जो चले गए मेरी नींदें चली गई
मेरे दिल का चैन मेरी खुशियाँ चली गईं
जीने कि हर वो चाह,वो आस चली गयी
जिसकी लौ जली थी कुछ रोज़ पहले ही!
हम जो देखते हैं अब आइना
हमें कुछ अजीब सा लगता है
वो जो चेहरा कभी हमारा था
उसपर अक्स किसी और का पड़ता है!
vo baarish......
वो बारिश ही क्या जो सबको बता कर आये
दुनिया को पहरे पर बिठा कर आये!
वो आये तो कुछ ऐसे आये की सीथे
आँखों से होती मेरे दिल में उतर जाये!
मिटा दे जन्मों की प्यास जो है इस दिल में
और छुपा ले हमें अपनी पलकों की झील में!
दुनिया को पहरे पर बिठा कर आये!
वो आये तो कुछ ऐसे आये की सीथे
आँखों से होती मेरे दिल में उतर जाये!
मिटा दे जन्मों की प्यास जो है इस दिल में
और छुपा ले हमें अपनी पलकों की झील में!
ikrar...
मैंने कभी न चाहा कि तुम इकरार करो
....
मैनें कभी न चाहा कि तुम मुझे प्यार करो
..
मैंने कभी न चाहा कि तुम आओ कब्र पर मेरी
..
पर हाँ!गर आ ही गए हो तुम दर पर मेरे भूले से
..
तो बहा दो आज, दो बूँद अश्क मिटटी पर मेरी.
.
कर लूंगी तस्सल्ली ये सोचकर मेरे दिलबर कि
..
चलो राहत तो दी तुमने,भले ही कुछ देर से सही
..
आज देकर रूह को मेरी अपने आंसुओं की गर्मी!
....
मैनें कभी न चाहा कि तुम मुझे प्यार करो
..
मैंने कभी न चाहा कि तुम आओ कब्र पर मेरी
..
पर हाँ!गर आ ही गए हो तुम दर पर मेरे भूले से
..
तो बहा दो आज, दो बूँद अश्क मिटटी पर मेरी.
.
कर लूंगी तस्सल्ली ये सोचकर मेरे दिलबर कि
..
चलो राहत तो दी तुमने,भले ही कुछ देर से सही
..
आज देकर रूह को मेरी अपने आंसुओं की गर्मी!
imtihaan......
माना कि इम्तिहान लेता है तू सभी का इस जहाँ में
पर इतना भी मुश्किल न ले कि मैं बस टूट ही जाऊं!
माना कि मेरे ख्वाब नाज़ुक है कांच से भी ज्यादा
पर शायद इतने भी नहीं कि उन्हें संवारा न जा सके!
माना कि मेरा दिल कुछ ज्यादा ही मांग लेता है तुझसे
पर एक बार देकर तो देख तू फिर कभी अपना न रहना चाहेगा !
माना कि तेरी फेहरिस्त में हम अव्वल दर्जे में नहीं आते
पर फिर भी जब तू चाहेगा सबसे पहले नज़र आयेंगे हम!
पर इतना भी मुश्किल न ले कि मैं बस टूट ही जाऊं!
माना कि मेरे ख्वाब नाज़ुक है कांच से भी ज्यादा
पर शायद इतने भी नहीं कि उन्हें संवारा न जा सके!
माना कि मेरा दिल कुछ ज्यादा ही मांग लेता है तुझसे
पर एक बार देकर तो देख तू फिर कभी अपना न रहना चाहेगा !
माना कि तेरी फेहरिस्त में हम अव्वल दर्जे में नहीं आते
पर फिर भी जब तू चाहेगा सबसे पहले नज़र आयेंगे हम!
aankhmichoni.....
कल देखा तो सूरज
कुछ अलग ही लगा
कुछ बहका बहका
कुछ मदमस्त सा!
बच्चों सा शर्माता
कुछ झूमता सा
कभी दौड़ लगाता
कभी मुंह छुपाता!
कभी खेलता .....
आँख मिचौनी बादलों संग
कभी घूमता अठन्नी
सा पूरे आकाश में!
ना जाने ऐसा क्यों था
वो कल जो नज़रें चुराता
हर उससे जिसे
तपाता था वो हर रोज़!
कुछ अजीब था वो...
देखा तो पाया एक.....
शराबी जल की जगह
मदिरा चढ़ा गया था
शायद उसे उस रोज़ !
कुछ अलग ही लगा
कुछ बहका बहका
कुछ मदमस्त सा!
बच्चों सा शर्माता
कुछ झूमता सा
कभी दौड़ लगाता
कभी मुंह छुपाता!
कभी खेलता .....
आँख मिचौनी बादलों संग
कभी घूमता अठन्नी
सा पूरे आकाश में!
ना जाने ऐसा क्यों था
वो कल जो नज़रें चुराता
हर उससे जिसे
तपाता था वो हर रोज़!
कुछ अजीब था वो...
देखा तो पाया एक.....
शराबी जल की जगह
मदिरा चढ़ा गया था
शायद उसे उस रोज़ !
दिल उस पर मेरा भी कभी आता है!.......
माना कि वो उसका है पर दिल
उस पर मेरा भी कभी आता है!
देख कर उसको मुस्कुराता हुआ
दिल मेरा भी कभी मचल जाता है!
छोटी सी तमन्ना रखता है ये दिल
कि मै भी बहल जाऊं उसको पाकर!
देख मुझे यूँ मेरा चाँद भी पिघलता है
रफ्ता रफ्ता वो भी मुझसा ही घुलता है!
उस पर मेरा भी कभी आता है!
देख कर उसको मुस्कुराता हुआ
दिल मेरा भी कभी मचल जाता है!
छोटी सी तमन्ना रखता है ये दिल
कि मै भी बहल जाऊं उसको पाकर!
देख मुझे यूँ मेरा चाँद भी पिघलता है
रफ्ता रफ्ता वो भी मुझसा ही घुलता है!
chand......
ए चाँद आज तू कुछ जुदा सा लगता है ,
रंग धरती का तुझ पर चढ़ा सा लगता है
ऐसी क्या खता हुई मुझसे मेरी जान
कि तू मुझसे कुछ खफा सा लगता है!
कब से तेरी राह में आँखें बिछाए बैठी हूँ ,
पिछले कुछ दिवस सदियों से जिए बैठी हूँ
जब भी कोई पत्ता झरा शाख से अँधेरे में
लगा जैसे की तू कुछ कह रहा हो मुझसे!
तेरी यादों के झरोखों से जब झाँका मैंने
सिर्फ अपना चेहरा पाया तेरी आँखों में मैंने
पर फिर क्यों आज ये दिल इतना बेचेन है
लगता है खुद पर अब ऐतबार खो दिया मैंने!
तू ही बता दे मुझको अब, क्या मैं सही हूँ ?
या ये सिर्फ मेरा डर है तुझसे जुदा होने का
आज कि रात कर ले एक वादा तू मुझसे
कि कल न होगा धरती का साया तुझ पर!
हम फिर पहले से मिलेंगे पहाड़ों के पीछे
दुनिया से परे चांदनी की चादर में लिपटे
तू फिर मेरी मांग सजा देना सितारों से
मैं फिर बुन लूंगी सपने सतरंगी संग तेरे!
रंग धरती का तुझ पर चढ़ा सा लगता है
ऐसी क्या खता हुई मुझसे मेरी जान
कि तू मुझसे कुछ खफा सा लगता है!
कब से तेरी राह में आँखें बिछाए बैठी हूँ ,
पिछले कुछ दिवस सदियों से जिए बैठी हूँ
जब भी कोई पत्ता झरा शाख से अँधेरे में
लगा जैसे की तू कुछ कह रहा हो मुझसे!
तेरी यादों के झरोखों से जब झाँका मैंने
सिर्फ अपना चेहरा पाया तेरी आँखों में मैंने
पर फिर क्यों आज ये दिल इतना बेचेन है
लगता है खुद पर अब ऐतबार खो दिया मैंने!
तू ही बता दे मुझको अब, क्या मैं सही हूँ ?
या ये सिर्फ मेरा डर है तुझसे जुदा होने का
आज कि रात कर ले एक वादा तू मुझसे
कि कल न होगा धरती का साया तुझ पर!
हम फिर पहले से मिलेंगे पहाड़ों के पीछे
दुनिया से परे चांदनी की चादर में लिपटे
तू फिर मेरी मांग सजा देना सितारों से
मैं फिर बुन लूंगी सपने सतरंगी संग तेरे!
piya ki nagariya.....
जा रे पवन तू ही चला जा उनकी नगरिया!
भूल न जाना, ले जाना साथ अपनी चंदनिया!
जिसे देख वो खुद ही पहचान जायेंगे!
हाल मेरे दिल का वो जान जायेंगे!
तुम दोनों को साथ देख,याद कर लेंगे!
जब घूमते थे सागर किनारे पिछली बार!
रेत पर बनाते जाते थे हम क़दमों के निशान!
और तुम मिटाते जाते थे उनके नामोंनिशान! !
जब पूछा मैंने तुमसे तो हंस के बोले थे तुम!
कितनी भोली हो! जग को नहीं जानती क्या तुम?
जिस दिन देख लेगा इन दो क़दमों को साथ!
कर देगा जुदा पल भर में छुड़ा दोनों के हाथ!
देख हमको देख, कैसे जुदा होते हैं हम हरबार!
मिल पाते हैं सिर्फ जब अमावस्या हो मेहरबान !
भूल न जाना, ले जाना साथ अपनी चंदनिया!
जिसे देख वो खुद ही पहचान जायेंगे!
हाल मेरे दिल का वो जान जायेंगे!
तुम दोनों को साथ देख,याद कर लेंगे!
जब घूमते थे सागर किनारे पिछली बार!
रेत पर बनाते जाते थे हम क़दमों के निशान!
और तुम मिटाते जाते थे उनके नामोंनिशान! !
जब पूछा मैंने तुमसे तो हंस के बोले थे तुम!
कितनी भोली हो! जग को नहीं जानती क्या तुम?
जिस दिन देख लेगा इन दो क़दमों को साथ!
कर देगा जुदा पल भर में छुड़ा दोनों के हाथ!
देख हमको देख, कैसे जुदा होते हैं हम हरबार!
मिल पाते हैं सिर्फ जब अमावस्या हो मेहरबान !
लॉन्ग ड्राइव...........
सुनो! याद है उस दिन कितने दिनों बाद
मुसलाधार बारिश हो रही थी और
मैं जिद्द कर् बैठी लॉन्ग ड्राइव पर जाने की
तुम ना ना करते फ़िर भी कार निकाल लाये थे!
दोनों कितनी दूर निकाल आये थे बारिश में
ऍफ़ एम् पर कोई रोमांटिक गीत बज रहा था
हाँ याद आया "रिम झिम गिरे सावन
.... ....."
और कैसे हम दोनों एक दूसरे में खो गए थे !
और कैसे हम दोनों एक दूसरे में खो गए थे !
तुम्हे याद है मैं तुम्हारे कांधे पर रख के सर
एक हाथ पकड़ तुम्हारा बैठी रही थी और तुम
बार बार हाथ छुड़ाते थे गेअर बदलने के लिए
और मैं फ़िर हाथ पकड़ लेती थी झट से तुम्हारा!
सड़क पर सिर्फ दूर दूर तक बारिश ही बारिश
कोई नहीं दिखता था पागल हमसा सड़क पर!
बस मेरा मन करता था यूहीं चलते चले जाएँ हम
और वो हसीं वक्त वहीँ थाम जाये मेरे तुम्हारे संग!
सुनते हो! आज वो खूबसूरत लम्हा लौटा दो मुझे
जो कहीं दूर छूट गया है मुझसे रोज़ की भाग दौड़ में
देखो देखो! आज फ़िर कितनी तेज़ बारिश हो रही है
सुनो ले चलो न मुझे फ़िर एक और लॉन्ग ड्राइव पर!
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