Tuesday, January 17, 2012

सुकून......

वो रख दे चंद फाहे चांदनी के 
मेरे सुलगते हुए टूटे दिल पर! 
लगा दें लेप अपनी नर्म साँसों का 
मेरे झुलसते हुए तन -मन पर! 
सुकून दे दें पल भर के लिए ही 
मेरे तड़पते हुए अरमानों को!
यूँ तो कटती है ,कट जाएगी ज़िन्दगी 
लेकिन थोड़ी मेरी मौत तो आसां कर दे!

Wednesday, January 4, 2012

क्या हुआ जाता है... ...........


दिल ये डूबा जाता है... 
वो कह गए थे... 
करेंगे इंतज़ार मेरा.. 
जब भी लौटूंगी.....
पाऊंगी उन्हें ..
उसी मोड़ पर ...
जहाँ से बिछुड़े थे
किसी रोज़ हम !
पर ये क्या ?
खड़ी हूँ कई रोज़ से... 
करती इंतज़ार उनका...
जो शायद खफा है ...
कि हमने कुछ कह दिया उनसे 
जो न जाने बड़ा नागवार 
है गुज़रा उन पर....
माना कि खता थी हमारी... 
पर क्या वो अभी भी... 
न समझ पाए.... 
प्यार को अपने ?
हमने तो सोचा था... 
कि वो प्यार बहुत 
करते हैं हमसे...  
मुआफ कर  देंगे.... 
छोटी सी खता हमारी!
पर.. अब न जाने आज... 
क्या हुआ जाता है...
दिल अपनी ही बेरुखी पर...
रोया जाता है!
सुन लो ये इल्तिजा मेरी...
जो आज न संभाला मुझे....
तो टूट जाऊंगी मैं.. .
सदा के लिए !

Sunday, January 1, 2012

mere sher...


सोच लो गर चले गए तो लौटेंगे नहीं 



चाहे कितना ही पुकारा करना हमें



दिल हमारा कितना ही तड़पा करे



फिर भी न गवारा होगा तेरा हमें यूँ जाने देना!
 











मुद्दत हुई एक शख्स को बिछुड़े हुए लेकिन



आज तक मेरे दिल पे एक निशाँ बाक़ी है!
 —
अब न कुछ कहने को है और न सुनने को,

तबियत न अब मेरी है शिकायत करने को!

क्या कर ,क्यों कर करूँ शिकायत उससे 

जो मेरी इस दर्द के काबिल ही नहीं है!





जगमगाते रंग अब कुछ सोते से हैं
 ,
खिलखिलाते रंग अब कुछ रोते से हैं
 
कैनवास हुआ है अब विधवा की मांग सा

खोजता वो हाथ जो भरता रंग अनगिनत उसमें !



आखिर कब तक चलेगी ये आँख मिचोली

और कब तक हारेगी वफ़ा बेवफाई से यूहीं!
खूबसूरत चारपाई सा बुना शरीर 

कुछ हाड़ मॉस की नुमाइश करता

ढोता बोझ इस कठिन जीवन का 

कुछ खाली पेट कुछ पानी पी! 






लबों को फिर मेरे मुस्कुराना आ गया
 
किसी ने लौट कर वापस, ये खज़ाना दे दिया!

मुद्दतें हुई हमें यूँ कुछ गुनगुनाये हुए
 
लबों को आज फिर एक मीठा तराना मिल गया!

दिल ने भी मेरे छेड़ा है कोई नया फ़साना 

वो जो बैठा था बरसों से थामे हाथ तनहाइयों का !

आँखें मचल अब करतीं है हाले- बयां सबसे 

जिसे कभी वो चाँद,तारों से भी छुपाया करती थीं