दिल ये डूबा जाता है...
वो कह गए थे...
करेंगे इंतज़ार मेरा..
जब भी लौटूंगी.....
पाऊंगी उन्हें ..
उसी मोड़ पर ...
जहाँ से बिछुड़े थे
किसी रोज़ हम !
पर ये क्या ?
खड़ी हूँ कई रोज़ से...
करती इंतज़ार उनका...
जो शायद खफा है ...
कि हमने कुछ कह दिया उनसे
जो न जाने बड़ा नागवार
है गुज़रा उन पर....
माना कि खता थी हमारी...
पर क्या वो अभी भी...
न समझ पाए....
प्यार को अपने ?
हमने तो सोचा था...
कि वो प्यार बहुत
करते हैं हमसे...
मुआफ कर देंगे....
छोटी सी खता हमारी!
पर.. अब न जाने आज...
क्या हुआ जाता है...
दिल अपनी ही बेरुखी पर...
रोया जाता है!
सुन लो ये इल्तिजा मेरी...
जो आज न संभाला मुझे....
तो टूट जाऊंगी मैं.. .
सदा के लिए !
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