जा रे पवन तू ही चला जा उनकी नगरिया!
भूल न जाना, ले जाना साथ अपनी चंदनिया!
जिसे देख वो खुद ही पहचान जायेंगे!
हाल मेरे दिल का वो जान जायेंगे!
तुम दोनों को साथ देख,याद कर लेंगे!
जब घूमते थे सागर किनारे पिछली बार!
रेत पर बनाते जाते थे हम क़दमों के निशान!
और तुम मिटाते जाते थे उनके नामोंनिशान! !
जब पूछा मैंने तुमसे तो हंस के बोले थे तुम!
कितनी भोली हो! जग को नहीं जानती क्या तुम?
जिस दिन देख लेगा इन दो क़दमों को साथ!
कर देगा जुदा पल भर में छुड़ा दोनों के हाथ!
देख हमको देख, कैसे जुदा होते हैं हम हरबार!
मिल पाते हैं सिर्फ जब अमावस्या हो मेहरबान !
भूल न जाना, ले जाना साथ अपनी चंदनिया!
जिसे देख वो खुद ही पहचान जायेंगे!
हाल मेरे दिल का वो जान जायेंगे!
तुम दोनों को साथ देख,याद कर लेंगे!
जब घूमते थे सागर किनारे पिछली बार!
रेत पर बनाते जाते थे हम क़दमों के निशान!
और तुम मिटाते जाते थे उनके नामोंनिशान! !
जब पूछा मैंने तुमसे तो हंस के बोले थे तुम!
कितनी भोली हो! जग को नहीं जानती क्या तुम?
जिस दिन देख लेगा इन दो क़दमों को साथ!
कर देगा जुदा पल भर में छुड़ा दोनों के हाथ!
देख हमको देख, कैसे जुदा होते हैं हम हरबार!
मिल पाते हैं सिर्फ जब अमावस्या हो मेहरबान !
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