मैंने कभी न चाहा कि तुम इकरार करो
....
मैनें कभी न चाहा कि तुम मुझे प्यार करो
..
मैंने कभी न चाहा कि तुम आओ कब्र पर मेरी
..
पर हाँ!गर आ ही गए हो तुम दर पर मेरे भूले से
..
तो बहा दो आज, दो बूँद अश्क मिटटी पर मेरी.
.
कर लूंगी तस्सल्ली ये सोचकर मेरे दिलबर कि
..
चलो राहत तो दी तुमने,भले ही कुछ देर से सही
..
आज देकर रूह को मेरी अपने आंसुओं की गर्मी!
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मैनें कभी न चाहा कि तुम मुझे प्यार करो
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मैंने कभी न चाहा कि तुम आओ कब्र पर मेरी
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पर हाँ!गर आ ही गए हो तुम दर पर मेरे भूले से
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तो बहा दो आज, दो बूँद अश्क मिटटी पर मेरी.
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कर लूंगी तस्सल्ली ये सोचकर मेरे दिलबर कि
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चलो राहत तो दी तुमने,भले ही कुछ देर से सही
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आज देकर रूह को मेरी अपने आंसुओं की गर्मी!
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