तेरे शहर का रुख किया तो याद आया कि
वहां तो खंडहर हुई थी कल आरज़ू मेरी!
फिर सोचा कि चलो कुरेद आयें ज़मीन वहां की
शायद नयी कोपल निकल आये उस बंज़र ज़मीन से!
वहां तो खंडहर हुई थी कल आरज़ू मेरी!
फिर सोचा कि चलो कुरेद आयें ज़मीन वहां की
शायद नयी कोपल निकल आये उस बंज़र ज़मीन से!
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