जाने किस ओर हवाओं में बहती चली गई
किसी की चाह में यूही खिंचती चली गई!
ऐसा लगा की करता है कोई इंतज़ार मेरा
उससे मिलने की चाह में चलती चली गई !
किसी ने बड़े प्यार से छूआ था लबों को मेरे
उसके प्यार का एहसास था अब तक आँखों में मेरे!
वो ले आया मुझे इन अनजानी हवाओं के जहाँ में
जहाँ न वजूद है इस रिश्ते का दुनिया की निगाह में !
फिर भी अपने दिल से मजबूर चलती ही जा रही हूँ
उस अजनबी की चाह में खुद को खोती ही जा रही हूँ!
डरती हूँ कहीं कोई खता न कर बैठूं उसकी चाह में
लेकिन फिर भी क़दमों को अपने रोक नहीं पाती मैं!
किसी की चाह में यूही खिंचती चली गई!
ऐसा लगा की करता है कोई इंतज़ार मेरा
उससे मिलने की चाह में चलती चली गई !
किसी ने बड़े प्यार से छूआ था लबों को मेरे
उसके प्यार का एहसास था अब तक आँखों में मेरे!
वो ले आया मुझे इन अनजानी हवाओं के जहाँ में
जहाँ न वजूद है इस रिश्ते का दुनिया की निगाह में !
फिर भी अपने दिल से मजबूर चलती ही जा रही हूँ
उस अजनबी की चाह में खुद को खोती ही जा रही हूँ!
डरती हूँ कहीं कोई खता न कर बैठूं उसकी चाह में
लेकिन फिर भी क़दमों को अपने रोक नहीं पाती मैं!
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