अब न रहता है किसी का इंतज़ार
और ना ही आहटें करती हैं बेक़रार !
ख़ामोशी भी खामोश रहती है
और बेचेनी को भी सुकून रहता है !
साँसों का कारवां अब थामता नहीं
किसी सूरत को देख दिल मचलता नहीं !
यूँ तो ज़िन्दगी कि रफ़्तार थमती नहीं
लेकिन दिल में कुछ था जो अब जीता नहीं!
और ना ही आहटें करती हैं बेक़रार !
ख़ामोशी भी खामोश रहती है
और बेचेनी को भी सुकून रहता है !
साँसों का कारवां अब थामता नहीं
किसी सूरत को देख दिल मचलता नहीं !
यूँ तो ज़िन्दगी कि रफ़्तार थमती नहीं
लेकिन दिल में कुछ था जो अब जीता नहीं!
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