Friday, March 11, 2011

ख्वाइश




ऐ मेरी तेज़ चलती हुई सांसो ,
ज़रा थम जाओ ,आवाज़ न करो !
वो देखो सोती है कैसे ज़िन्दगी मेरी ,
बेफिक्र,बेपरवाह ,खोई है मीठे ख्वाबों में!

जाने दो चुपके से मुझे उसके करीब
रख देने दो  होंठ उसकी गर्दन के समीप!
चूम लेने दो उसकी एक -एक  नस 
जो बढाती है खूबसूरती उसकी ! 

समां लेने दो उसकी सोंधी सांसों की खुशबू  ,
हो जाने दो मिलन आज  सांसों का !
ये देखो चूम ली  मैंने उसकी गर्दन 
और निकल आये मेरे आंसू छलक! 

बस दिल ना रहा मेरे काबू और
तन चाहा सामना उसमें !
लिपट गयी एक लता सी उसके तन से,
न छोड़ने के लिए उसे कभी !

बस उसमे खुद को डुबाना चाहती हूँ 
उसको खुद में सामना चाहती हूँ! 
बस बस यूहीं  खो जाना चाहती हूँ 
अब  न मन पर है मेरा कोई जोर !

और न तन पर है मेरा कोई काबू  
बहती ही जा रही हूँ उसमे समाकर !
मैं चली एक नयी दुनिया की ओर
जहाँ न होगा हमें रोकनेवाला कोई! 

हम रहेंगे एक दूजे में समाये यूंही!
दुनिया के रंजों गम भुला के सभी!
चाँद ,सूरज निकलेंगे बस हमारे लिए,
हमीं से शुरू और खतम दास्तान होगी !

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