Wednesday, January 4, 2012

क्या हुआ जाता है... ...........


दिल ये डूबा जाता है... 
वो कह गए थे... 
करेंगे इंतज़ार मेरा.. 
जब भी लौटूंगी.....
पाऊंगी उन्हें ..
उसी मोड़ पर ...
जहाँ से बिछुड़े थे
किसी रोज़ हम !
पर ये क्या ?
खड़ी हूँ कई रोज़ से... 
करती इंतज़ार उनका...
जो शायद खफा है ...
कि हमने कुछ कह दिया उनसे 
जो न जाने बड़ा नागवार 
है गुज़रा उन पर....
माना कि खता थी हमारी... 
पर क्या वो अभी भी... 
न समझ पाए.... 
प्यार को अपने ?
हमने तो सोचा था... 
कि वो प्यार बहुत 
करते हैं हमसे...  
मुआफ कर  देंगे.... 
छोटी सी खता हमारी!
पर.. अब न जाने आज... 
क्या हुआ जाता है...
दिल अपनी ही बेरुखी पर...
रोया जाता है!
सुन लो ये इल्तिजा मेरी...
जो आज न संभाला मुझे....
तो टूट जाऊंगी मैं.. .
सदा के लिए !

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