Sunday, January 1, 2012

imtihaan......

माना कि इम्तिहान लेता है तू सभी का इस जहाँ में
 
पर इतना भी मुश्किल न ले कि मैं बस टूट ही जाऊं!

माना कि मेरे ख्वाब नाज़ुक है कांच से भी ज्यादा 

पर शायद इतने भी नहीं कि उन्हें संवारा न जा सके!

माना कि मेरा दिल कुछ ज्यादा ही मांग लेता है तुझसे


पर एक बार देकर तो देख तू फिर कभी अपना न रहना चाहेगा !

माना कि तेरी फेहरिस्त में हम अव्वल दर्जे में नहीं आते


पर फिर भी जब तू चाहेगा सबसे पहले नज़र आयेंगे हम!

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